Wednesday 17 June 2015

गरीबों की शिक्षा पर भ्रष्टाचार का डाका - स्कूलों में EWS कैटेगिरी में 3 से 10 लाख रिश्वत (NBT)

एक समय था जब अच्छी शिक्षा के साथ साथ हर विद्या में निपुण होने के लिए बच्चे को गुरुकुल भेजा जाता था ! जहाँ गुरु और शिष्य का एक अलग ही रिश्ता था ! जहाँ गुरु अपने प्रिय शिष्य के लिए रात दिन एक कर देता था तो वहीँ शिष्य अपने गुरु के लिए अपनी जान दांव पर लगाने में जरा सा भी संकोच नहीं करता था ! एकलव्य की कहानी इसका सार्थक उदाहरण हे !

बाद में गुरुकुल का रूप बदलकर पाठशाला हो गया ! जहाँ बच्चों के साथ जाति, धर्म का भेदभाव किया जाने लगा ! शिक्षा का स्तर गिरता चला गया ! किन्तु ऐसे वातावरण में भी कई विद्यार्थी अपनी बुद्धि व परिश्रम के बल पे आगे बड़े और ख्याति प्राप्त की ! महात्मा गाँधी, विवेकानंद जी, रविंदर नाथ टैगोर व भीमराव आंबेडकर को भला कोन भूल सकता हैं जिन्होंने देश में शिक्षा का अभाव होने के बावजूद विदेशों में शिक्षा प्राप्त करके नए कीर्तिमान स्थापित किये !

आज शिक्षा का स्तर कहाँ है ?

पाठशालाओं ने आज भव्य स्कूलों का रूप ले लिया हैं यदि कुछ संगठनों के द्वारा चलाये जा रहे स्कूलों को छोड़ दिया जाये तो सुविधाओं के नाम पर खुलेआम लूटा जाता हैं! नाम अलग-अलग हैं - एडमिशन चार्ज, डोनेशन, डेवलपमेंट चार्ज ! उसके अलावा किताबें वा यूनिफार्म स्कूल से लेना अनिवार्य कर दिया जाता है जिनका मूल्य आसमान को छूता है ! उसमें स्कूलों का कमीशन शामिल होता है ! चार्ज इतने ठोक दिए जाते हैं और सुविधाएँ नदारद !

ऐसा नहीं है की सरकार की तरफ से कोई स्कीम्स नहीं हैं ! लगभग 25 प्रतिशत सीट्स गरीब वा जातिगत आधार पर सुरक्षित रखी जाति हैं ! जिसमें बच्चों को बिलकुल मुफ्त शिक्षा का प्रावधान है ! किन्तु वहां भी रिश्वत का बोलबाला है ! पैसा फैंको तमाशा देखो ! आज की नवभारत टाइम्स की खबर के अनुसार ई.डब्लू.एस. में एडमिशन के लिए 3 लाख से 10 लाख तक रिश्वत दी जाती है! इस सम्बन्ध में 4 लोगों को हिरासत में भी लिया गया है ! किन्तु क्या इतना भर काफी है ? यहाँ तो लगभग हर स्कूल में भ्रष्टाचारियों का वास है ! ये सब गरीबों का हक़ मारना व शिक्षा से वंचित रखने का एक बड़ा रैकेट चलाया जा रहा है ! केवल एक आय प्रमाण पत्र देना होता है वो भी थोड़ी सी रिश्वत देके बनवा लिया जाता है !

मै दावे के साथ कह सकता हूँ की यदि उस स्कीम के अंतर्गत यदि सभी स्कूल्स की तहकीकात की जाय तो लगभग 80% लोग ऐसे निकलेंगे जिनकी आय उस सीमा से अधिक होगी और लगभग 40% तो ऐसे होंगे जिनकी आय एक लाख रूपए महीने से अधिक होगी ! लग्सरी गाड़ियों में घुमते होंगे ! बड़े बड़े मकान होंगे उनके पास ! दोस्तों वह लोग गरीबों से विश्वासघात कर रहे हैं ! किसी का हक़ मारकर वो क्या अपने बच्चे को अच्छी शिक्षा देंगे जबकि वो खुद भ्रष्टाचार में डूबे हैं !

और इन सबसे उपर एक बात और है ! आज सभी बड़े बड़े प्राइवेट स्कूल्स ने लॉबी बना ली है जिसके अंतर्गत उन्हें राजनैतिक सरंक्षण प्राप्त होता है ! आज आप स्कूल के नाम के साथ यह जरुर जुड़ा हुआ पाओगे की फलाना स्कूल फलानी पार्टी से जुड़ा है या उसे फलानी पार्टी का सरंक्षण प्राप्त है ! बड़े बड़े नेता इस गोरख धंधे में शामिल हैं ! पैसे लेकर बड़े से बड़े स्कूलों में एडमिशन करना आज आम बात है केवल स्टेटस देखा जाता है ! और यदि कोई स्कूल नियमों का पालन करके चलने की कोशिश करता भी है तो राजनीति से प्रेरित लोग नेताओं से धमकियाँ व प्रेशर डलवा कर अपना उल्लू सीधा कर लेते हैं !

कभी शिक्षा का मंदिर कहे जाने वाले स्कूल आज केवल भ्रष्टाचार और लूट का अड्डा बनते जा रहे हैं ! और यदि शिक्षा पर केवल अमीरों का ही अधिकार है तो गरीबों के लिए स्कीमें निकालने की ओप्चारिक्तायें क्यों ? क्या किसी गरीब को कोई हक़ नहीं की वो अपने बच्चों को डॉक्टर, इंजिनियर, मेनेजर बनाने का ख्वाब संजोये ?

कभी तो वो दिन आएगा जब सबको सामान शिक्षा का अधिकार मिलेगा ! कभी तो वो दिन आएगा जब एक रिक्शा वाला कहेगा की मेरा बता डॉक्टर बन गया ! कभी तो वो दिन आएगा जब एक मजदूर की बेटी कहेगी मै वकील बन गयी !

पर कब ? कब होगा ये सब ? शायद ही कभी !


"प्रवीन बहल खुशदिल”


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