
बाद में गुरुकुल का रूप बदलकर पाठशाला हो गया !
जहाँ बच्चों के साथ जाति, धर्म का भेदभाव किया जाने लगा ! शिक्षा का स्तर गिरता
चला गया ! किन्तु ऐसे वातावरण में भी कई विद्यार्थी अपनी बुद्धि व परिश्रम के बल
पे आगे बड़े और ख्याति प्राप्त की ! महात्मा गाँधी, विवेकानंद जी, रविंदर नाथ टैगोर
व भीमराव आंबेडकर को भला कोन भूल सकता हैं जिन्होंने देश में शिक्षा का अभाव होने के बावजूद विदेशों में शिक्षा
प्राप्त करके नए कीर्तिमान स्थापित किये !
आज शिक्षा का स्तर कहाँ है ?

ऐसा नहीं है की सरकार की तरफ से कोई स्कीम्स
नहीं हैं ! लगभग 25 प्रतिशत सीट्स गरीब वा जातिगत आधार पर सुरक्षित रखी जाति हैं !
जिसमें बच्चों को बिलकुल मुफ्त शिक्षा का प्रावधान है ! किन्तु वहां भी रिश्वत का
बोलबाला है ! पैसा फैंको तमाशा देखो ! आज की नवभारत टाइम्स की खबर के अनुसार ई.डब्लू.एस.
में एडमिशन के लिए 3 लाख से 10 लाख तक रिश्वत दी जाती है! इस सम्बन्ध में 4 लोगों
को हिरासत में भी लिया गया है ! किन्तु क्या इतना भर काफी है ? यहाँ तो लगभग हर
स्कूल में भ्रष्टाचारियों का वास है ! ये सब गरीबों का हक़ मारना व शिक्षा से वंचित
रखने का एक बड़ा रैकेट चलाया जा रहा है ! केवल एक आय प्रमाण पत्र देना होता है वो
भी थोड़ी सी रिश्वत देके बनवा लिया जाता है !
मै दावे के साथ कह सकता हूँ की यदि उस स्कीम के
अंतर्गत यदि सभी स्कूल्स की तहकीकात की जाय तो लगभग 80% लोग ऐसे निकलेंगे जिनकी आय
उस सीमा से अधिक होगी और लगभग 40% तो ऐसे होंगे जिनकी आय एक लाख रूपए महीने से
अधिक होगी ! लग्सरी गाड़ियों में घुमते होंगे ! बड़े बड़े मकान होंगे उनके पास !
दोस्तों वह लोग गरीबों से विश्वासघात कर रहे हैं ! किसी का हक़ मारकर वो क्या अपने
बच्चे को अच्छी शिक्षा देंगे जबकि वो खुद भ्रष्टाचार में डूबे हैं !
और इन सबसे उपर एक बात और है ! आज सभी बड़े बड़े
प्राइवेट स्कूल्स ने लॉबी बना ली है जिसके अंतर्गत उन्हें राजनैतिक सरंक्षण
प्राप्त होता है ! आज आप स्कूल के नाम के साथ यह जरुर जुड़ा हुआ पाओगे की फलाना
स्कूल फलानी पार्टी से जुड़ा है या उसे फलानी पार्टी का सरंक्षण प्राप्त है ! बड़े
बड़े नेता इस गोरख धंधे में शामिल हैं ! पैसे लेकर बड़े से बड़े स्कूलों में एडमिशन
करना आज आम बात है केवल स्टेटस देखा जाता है ! और यदि कोई स्कूल नियमों का पालन
करके चलने की कोशिश करता भी है तो राजनीति से प्रेरित लोग नेताओं से धमकियाँ व
प्रेशर डलवा कर अपना उल्लू सीधा कर लेते हैं !
कभी शिक्षा का मंदिर कहे जाने वाले स्कूल आज
केवल भ्रष्टाचार और लूट का अड्डा बनते जा रहे हैं ! और यदि शिक्षा पर केवल अमीरों
का ही अधिकार है तो गरीबों के लिए स्कीमें निकालने की ओप्चारिक्तायें क्यों ? क्या
किसी गरीब को कोई हक़ नहीं की वो अपने बच्चों को डॉक्टर, इंजिनियर, मेनेजर बनाने का
ख्वाब संजोये ?
कभी तो वो दिन आएगा जब सबको सामान शिक्षा का
अधिकार मिलेगा ! कभी तो वो दिन आएगा जब एक रिक्शा वाला कहेगा की मेरा बता डॉक्टर
बन गया ! कभी तो वो दिन आएगा जब एक मजदूर की बेटी कहेगी मै वकील बन गयी !
पर कब ? कब होगा ये सब ? शायद ही कभी !
"प्रवीन बहल खुशदिल”
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