Friday 19 June 2015

गंजापन – दुनियाँ का सबसे बड़ा दुःख

दोस्तों ! दुनियां में बहुत दुःख है ! शायद ही कोई इंसान ऐसा हो इस ब्रह्माण्ड में जो दुखी न हो ! कोई बीवी से दुखी तो कोई पति से कोई बेटे से तो कोई बाप से कोई पैसे ना होने पर दुखी तो कोई बीमारी से ! किन्तु एक दुःख ऐसा है जो सर्वव्यापी होने के साथ साथ ऐसा है की शायद आज तक उस दुःख से बड़ा दुःख कोई बना ही नहीं ! जी हां ! वो दुःख है – गंजापन !

वैसे तो चाहे बच्चा हो या जवान या फिर कोई बुजुर्ग ही क्यों ना हों ! सभी चाहते हैं की उनके घने वा भरपूर बाल हों ! यदि गलती से बाल टूटने शुरू हो जाएँ तो बस ऐसी टेंशन पैदा हो जाती है जैसी बोर्ड के एग्जाम के समय भी नहीं हुई थी ! भाई साहिब ! इस टेंशन को मै केवल उस टेंशन के बराबर समझता हूँ जो शादी के समय होती है !

यदि बाल शादी होने के बाद उड़ने शुरू होते हैं तो मन के एक कोने में फिर भी एक तसल्ली रहती है की चल यार अब क्या फ़र्क पड़ता है ? अब तो शादी हो चुकी है ! उसमे भी तर्क सिर्फ यह है की - अंगूर खट्टे हैं ! क्योंकि बाल टूटने तो रूकने से रहे ! चलो दिल को ही समझा लो ! लेकिन यदि शादी से पहले बाल उड़ने शुरू हो गए तो समझो ! गयी भैंसिया पानी में ! भाई ! रातों की नींद हराम हो जाती है ! दुनिया का कोई तरीका इंसान नहीं छोड़ता की किसी तरह बाल टूटने से रूक जाएँ ! हर प्रकार का तेल लगाया जाता है फिर चाहे किसी के कहने पर सात  समुंदर पार से ही क्यों न लाना पड़े ! बाल आयें या ना आयें किन्तु तेल कपनियों के वारे न्यारे पक्के हैं ! कई नीम हकीम मिल जायेंगे आपको तेल बेचते हुए जिनका खुद का गुलशन उजड़ा हुआ होता है यानि झालर या टकला निकला होता है ! किन्तु फिर भी लोग अपने सर की हरियाली पाने के लिए हर हथकंडा अपनाने को तैयार रहते हैं !

यदि तेल से भी कोई फिर्क नहीं पड़ता तो दूसरों के कहने में आकर घरेलु उपचार किये जाते हैं ! रीठे, आवला, शिकाकाई और ना जाने क्या क्या ! जिन चीजों के नाम कभी सुने ही नहीं थे वह भी इस्तेमाल में लायी जाती हैं ! वो बात अलग है की बाल टूटने बंद होने की जगह और ज्यादा झड़ने लग जाएँ !

अच्छा, गंजो की भी कई किस्में होती हैं !

कई लोग बीच में से थोड़े से गंजे हो जाते हैं ! इस प्रकार के गंजे सबसे अधिक मात्रा में पाए जाते हैं !

कई लोग बीच में पूरे सफाचट हो जाते हैं  साइड से थोड़े-थोड़े बाल रह जाते हैं ! इन्हें झालर वाले गंजे भी कहा जाता है ! ये बहुत ही कम पाए जाते हैं !

कई लोगों के बिलकुल बाल नहीं होते ! इन्हें शेट्टी या डैनी स्टाइल कहा जाता है ! कई लोग इन्हें गंजे की जगह टकला नाम से बुलाते हैं !

तीनों ही प्रकार के गंजों में दो बात कोमन है एक यह की टोपी का अधिक इस्तेमाल करते हैं ! दूसरा यह की एक जुमला सब के लिए प्रसिद्ध है की बाल उड़ने का मतलब – पैसा आने वाला है वो भी मोटा पैसा ! वो बात अलग है की जेब में चाहे फूटी कोड़ी हो ना हो सेठ तो बन ही गए – बातों के सेठ !

तीनों की अपनी अलग अलग परेशानियाँ भी हैं ! जहाँ झालर वाले बाबु समझ नहीं पाते की कटिंग कब कराएँ ? वहीँ टकले बाबु को नहाते समय समझ ही नहीं आता की साबुन कहाँ तक लगाना है ? और बीच से गंजे बाबू के सर के ठीक बीच में कभी साबुन जम जाता है तो कभी तेल ! कंघी करनी अलग मुश्किल !

मै तो कहता हूँ सभी देश के प्रधानमंत्रियों को मिल बैठकर इस समस्या का समाधान खोजना चाहिए ! सभी वैज्ञानिकों को केवल और केवल इसी काम पर लगा देना चाहिए ! क्योंकि जब हम अपने सर को हराभरा नहीं रख सकते तो प्रकृति को क्या हराभरा रखेंगे ! यदि जल्द ही इसका समाधान ना निकाला गया तो हर तरफ सिर्फ टकले ही टकले दिखेंगे ! और भविष्य के लोगों को पता ही नहीं चल पायेगा की उनके पूर्वज सर पर खेती किया करते थे !

आप में से कई लोग इसी समस्या से जूझ रहे होंगे ! कुछ सीरियस भी होंगे ! तो ऐसे सभी भाई साहिब से में वादा करता हूँ की उनके लिए प्रार्थना करूँगा की उनका गुलशन फिर से हरा भरा हो जाये !

ऐसा नहीं है की टकला होने का सिर्फ नुक्सान ही होता है कुछ फायदे भी हैं इसके ! कंघी की जरुरत नहीं ! कटिंग का खर्चा नहीं !  ओर तो ओर यदि बेगम से लड़ाई हो जाये तो बाल पकड़कर खींचने का कोई चांस ही नहीं !

और एक सबसे बड़ा लाभ यह की हर टकले की बीवी यही कहती मिलेगी की – इक चाँद आसमां पे, इक मेरे पास !

 

प्रवीन बहल खुशदिल

 

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