
टीवी, एक ऐसी बीमारी जिसका
इलाज़ ना तो कोई डॉक्टर कर सका ना कोई नीम-हकीम । कभी शहरों के राहीसों की शान हुआ
करता था टीवी । पुरे मोहल्ले के लोग चल पड़ते थे टीवी देखने एक ही घर में । और जिस
घर में वो टीवी होता था वो भी किसी साहूकार से कम नहीं था पूरी धौंस चलती थी बन्दे
की ।
दूरदर्शन, एक ऐसा चैनल जो पीढ़ी दर
पीढ़ी चलता आया है । दूरदर्शन का वो घूमता लोगो कौन भूल पाया है भला। उसका अलग ही
संगीत आज भी कानों में गूंजता है।
वो चित्रहार देखने के
लिए सबका...