Wednesday, 16 September 2015

--इंसान या नरपिशाच—

मानो कल ही की बात हो । समाज के लोग आपस में विचार विमर्श करके किसी भी विवाद को थाने पहुँचने से पहले ही आपस में निपटा लेते थे । मन में एक दूसरे के प्रति सम्मान होता था । दूसरे के दर्द को अपना समझा जाता था । लोगों में सहनशीलता थी । आज ! आज ना वो समाज है । ना दर्द समझने के लिए वो दिल । अपनों को अपना नहीं समझा जाता आज । फिर दूसरों की मदद करना तो बेवकूफी कहा जाता है । ना ही लोगों में सहनशीलता दिखती है । दो-दो रूपए के लिए खून कर दिया जाता है...

Tuesday, 23 June 2015

...टीवी - रिश्तों का वायरस...

टीवी, एक ऐसी बीमारी जिसका इलाज़ ना तो कोई डॉक्टर कर सका ना कोई नीम-हकीम । कभी शहरों के राहीसों की शान हुआ करता था टीवी । पुरे मोहल्ले के लोग चल पड़ते थे टीवी देखने एक ही घर में । और जिस घर में वो टीवी होता था वो भी किसी साहूकार से कम नहीं था पूरी धौंस चलती थी बन्दे की । दूरदर्शन, एक ऐसा चैनल जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलता आया है । दूरदर्शन का वो घूमता लोगो कौन भूल पाया है भला। उसका अलग ही संगीत आज भी कानों में गूंजता है। वो चित्रहार देखने के लिए सबका...

Saturday, 20 June 2015

....सबसे अमीर आदमी....

शहर के छोटे से बाज़ार की इक छोटी सी कपडे सिलने की दुकान ! मुंह से पान की टपकती लार और सर पर नेताओं जैसी टोपी ! यही तो थी दुकान के मालिक की पहचान ! जुम्मन मियाँ ! किसी फ़िल्मी कैरक्टर की तरह था उनका नाम और अंदाज़ भी ! काम चाहे हो ना हो पर भीड़ पूरी रहती थी जुम्मन मियाँ की दुकान पर !  सब के सब खिचाई में लगे रहते थे जुम्मन मियाँ की ! और जुम्मन मियाँ कुड़ते हुए मन ही मन सोचा करते – दिखा दूंगा बेटा एक दिन एक एक को, कि हम भी क्या चीज़ हैं ! आज...

Friday, 19 June 2015

गंजापन – दुनियाँ का सबसे बड़ा दुःख

दोस्तों ! दुनियां में बहुत दुःख है ! शायद ही कोई इंसान ऐसा हो इस ब्रह्माण्ड में जो दुखी न हो ! कोई बीवी से दुखी तो कोई पति से कोई बेटे से तो कोई बाप से कोई पैसे ना होने पर दुखी तो कोई बीमारी से ! किन्तु एक दुःख ऐसा है जो सर्वव्यापी होने के साथ साथ ऐसा है की शायद आज तक उस दुःख से बड़ा दुःख कोई बना ही नहीं ! जी हां ! वो दुःख है – गंजापन ! वैसे तो चाहे बच्चा हो या जवान या फिर कोई बुजुर्ग ही क्यों ना हों ! सभी चाहते हैं की उनके घने वा भरपूर बाल हों...

Wednesday, 17 June 2015

करवाचौथ – दिन पत्नियों का ! मौज पतियों की !

करवाचौथ ! पति के लिए अमृत समान एक ऐसा दिन जिस दिन बीवी अपना हथियार यानि बेलन नहीं उठा सकती ! उस दिन का बीवी के साथ साथ पति भी बड़ी बेसब्री से इंतज़ार करते हैं ! बीवी देवी का रूप हो तो नार्मल दिन है ही ! उस दिन की अहमियत तो उनके लिए स्वर्ग में बिताये एक दिन की तरेह है जिनकी बीवी खतरनाक, खलनायिका, खूंखार, उग्र, चुड़ैल, चाण्डालिनी का रूप लिए रखती हैं ! किन्तु उस दिन सब शांत, नम्र, सावित्री, देवी का रूप लिए होती हैं ! उस दिन आप राजा होते हो और वो आपकी...

गरीबों की शिक्षा पर भ्रष्टाचार का डाका - स्कूलों में EWS कैटेगिरी में 3 से 10 लाख रिश्वत (NBT)

एक समय था जब अच्छी शिक्षा के साथ साथ हर विद्या में निपुण होने के लिए बच्चे को गुरुकुल भेजा जाता था ! जहाँ गुरु और शिष्य का एक अलग ही रिश्ता था ! जहाँ गुरु अपने प्रिय शिष्य के लिए रात दिन एक कर देता था तो वहीँ शिष्य अपने गुरु के लिए अपनी जान दांव पर लगाने में जरा सा भी संकोच नहीं करता था ! एकलव्य की कहानी इसका सार्थक उदाहरण हे ! बाद में गुरुकुल का रूप बदलकर पाठशाला हो गया ! जहाँ बच्चों के साथ जाति, धर्म का भेदभाव किया जाने लगा ! शिक्षा का स्तर...

Thursday, 11 June 2015

....नगरी भ्रष्टाचार की....

दो मंजिल मकान पर तीसरी मंजिल बनवा रहे थे शुक्ला जी । शाम होते होते बहुत थक चुके थे । रात को ही पुरे परिवार के साथ "नायक" फ़िल्म देखी । इतने प्रभावित हुए नायक की भूमिका देखकर की प्रण कर लिया के आज से कभी ना रिश्वत लेंगे ना देंगे । आखिर हर नागरिक का देश के प्रति भी कुछ फ़र्ज़ बनता है ।   सुबह सुबह नो बजे बिजली का बिल ठीक करवाने विभाग के दफ्तर पहुंचे । बिना बात बारह हज़ार का बिल भेज दिया था एक महीने का जबकि चार या पांच सौ से ज्यादा का नहीं आता...

....पार्किंग कूड़े की....

 लाहोल विला कुव्वत, कम्बख्त कोन सुबह सुबह गधे की तरह रंभा रिया हे ! अरे, बेगम सुनती हो ! अशफाक मियाँ ने अलसाते और खीजते हुए जोर से आवाज़ लगाई ! तभी उनकी बेगम सायेरा दनदनाती हुई आईं ! उनके हाथ में झाड़ू थी ! हां कहिये मियाँ - क्या बात हे ? अरे ये वक़्त बेवक्त कोन हे जो जोर जोर से चिल्ला रिया हे – अशफाक मियाँ ने पूछा ? बेगम बोलीं - अरे वो दो घर छोड़कर जो वर्मा जी नहीं रहते उनकी बेगम की पड़ोस वाले मास्टर जी की बीवी से कूड़े को लेकर लड़ाई...