
कभी बेहतरीन वक़्त ऐसा ना गुजरा जैसा मेरा आज है।
दोस्तों में शाहनवाज, जमील, सलीम, बबलू पे मुझे नाज़ है।।
दोस्त तो और भी है किसी से भी मेरा गिला नहीं ।
पर अब से पहले शायद कोई ऐसा दोस्त मिला नहीं ।।
सारे रिश्ते नाते अब तो इनसे पीछै छूट गए ।
जाति, धर्म के सारे बंधन अब तो यारों टूट गए ।।
सारे दोस्त एक थाली में भोजन मिलके करते हैं।
शर्म आती है उन नेताओं पे जो धर्म के नाम पे लड़ते हैं।
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